फिल्म विंग

फिल्म्स विंग के बारे में

फिल्म विंग फिल्म से संबंधित सभी मामलों को देखता है जैसे कि फिल्म सामग्री के निर्माण, प्रसार और संरक्षण को बढ़ावा देना, जिसमें भारत के अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव, अन्य राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सवों का आयोजन, फिल्मों को मंजूरी देना, फिल्म शूटिंग की अनुमति देना, राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार आयोजित करना शामिल है। फिल्म विंग को फिल्म विंग-I और फिल्म विंग-II में विभाजित किया गया है और प्रत्येक विंग में 03 डेस्क हैं जो इस प्रकार हैं:

फिल्म विंग-I

  1. एफ(सी) डेस्क –
    1. केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड से संबंधित सभी मामले
    2. चलचित्र अधिनियम, 1952
    3. फिल्म विंग का समन्वय कार्य।
    4. एफ(सी) डेस्क द्वारा नियंत्रित मीडिया युनिटों के अधिकारियों/कर्मचारियों के संबंध में सतर्कता दृष्टिकोण से रहित सभी अनुशासनात्मक मामले
    5. डेस्क द्वारा नियंत्रित मीडिया युनिटों में कार्यरत गैर-संगठित संवर्गों से संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों के संबंध में एफआर 56(जे) के तहत मामलों की समीक्षा
    6. एनएफडीसी - एनएफएआई, पुणे से संबंधित सभी मामले
    7. वीडियो पाइरेसी से संबंधित मामले
    8. संसदीय प्रश्न/आश्वासन, न्यायालयीन मामले, वीआईपी/एमपी/पीएमओ संदर्भ, लेखापरीक्षा आपत्तियां और उपरोक्त विषयों पर अन्य सभी अनुषंगी कार्य
    9. आपातकालीन समय में वरिष्ठों द्वारा सौंपा गया कोई अन्य कार्यालय संबंधी कार्य
  2. एफ(आई) डेस्क –
    1. फिल्म उद्योग, फिल्म संगठन और फिल्म सोसायटी आदि से संबंधित सभी मामले।
    2. फिल्म निर्माण के संबंध में एफडीआई प्रस्ताव।
    3. एफआईपीबी/परियोजना आयात प्रस्ताव
    4. विभिन्न देशों के साथ ऑडियो-विजुअल सह-निर्माण करार
    5. भारत में विदेशी फिल्मों की शूटिंग और सह-निर्माण के लिए प्रोत्साहन तथा चैंपियन सेवा क्षेत्र स्कीम से संबंधित कार्यों को डीसीडीएफसी स्कीम में विलय कर दिया गया है
    6. विदेशी फिल्म निर्माताओं को भारत में फीचर फिल्म की शूटिंग की अनुमति।
    7. विभिन्न स्थानों पर प्रदर्शन के लिए आने वाली अस्थायी आयातित फिल्मों/डीवीडी को सीमा शुल्क से छूट।
    8. एनीमेशन, गेमिंग और विजुअल इफेक्ट्स के लिए राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना की प्रक्रिया।
    9. किसी भी प्रकार की फिल्म का कहीं भी निर्माण, जिसमें वृत्तचित्र फिल्में, बच्चों की फिल्में, विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं की फिल्में आदि शामिल हैं
    10. फिल्मों के प्रचार के लिए अनुदान
    11. फिल्म अभिलेखागार की वेबकास्टिंग
    12. स्कूल में बच्चों की फिल्मों की प्रदर्शनी
    13. फिल्म सुविधा कार्यालय से संबंधित कार्य
    14. संसदीय प्रश्न/आश्वासन, न्यायालयीन मामले, वीआईपी/एमपी/पीएमओ संदर्भ, लेखापरीक्षा आपत्तियां और उपरोक्त विषयों पर अन्य सभी अनुषंगी कार्य
    15. आपातकालीन समय में वरिष्ठों द्वारा सौंपा गया कोई अन्य कार्यालय संबंधी कार्य
       
  3. एफ(एफ) डेस्क –
    1. राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार
    2. भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह
    3. भारत में राष्ट्रीय फिल्म समारोहों, फिल्म सप्ताहों आदि के आयोजन से संबंधित सभी मामले।
    4. भारत में फिल्म समारोहों के आयोजन के लिए गैर सरकारी संगठनों को अनुदान सहायता सहित डीसीडीएफसी स्कीम के लिए बजट प्रस्तावों से संबंधित सभी मामले।
    5. घरेलू या अंतर्राष्ट्रीय फिल्म मार्केट/फिल्म बाज़ार में भागीदारी।
    6. किसी भी प्रकार के अंतर्राष्ट्रीय या घरेलू फिल्म समारोह में भागीदारी और आयोजन जिसमें अन्य कार्यों के अलावा मुंबई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह, आईएफएफआई आदि शामिल हैं
    7. संसदीय प्रश्न/आश्वासन, न्यायालयीन मामले, वीआईपी/एमपी/पीएमओ संदर्भ, लेखापरीक्षा आपत्तियां और उपरोक्त विषयों पर अन्य सभी अनुषंगी कार्य
    8. आपातकालीन समय में वरिष्ठों द्वारा सौंपा गया कोई अन्य कार्यालय संबंधी कार्य

फिल्म विंग-II

  1. एफ(एफटीआई) डेस्क –
    1. फिल्म मीडिया युनिटों के विलय पर केंद्रीय मंत्रिमंडल के निर्णय का कार्यान्वयन
    2. डीओपीटी के परामर्श से अधिशेष कर्मचारी स्थापना (एसएसई) में रखे गए अधिशेष कर्मचारियों की पुनर्नियुक्ति।
    3. इस स्कीम को चुनने वाले अधिशेष कर्मचारियों के लिए विशेष वीआरएस
    4. अधिशेष स्टाफ का स्थापना मामला अर्थात अधिशेष स्टाफ की सेवाओं का उपयोग, एसएसई द्वारा उठाए गए सभी प्रशासनिक मुद्दों अर्थात एमएसीपी, आवास, सीजीएचएस, सेवानिवृत्ति, टीए आदि पर स्पष्टीकरण।
    5. अधिशेष कर्मचारी स्थापना के लिए वार्षिक योजना/योजना स्कीमें/बजट प्रस्ताव।
    6. विलय के बाद पुनर्नियुक्ति और अन्य मुद्दों पर एसएसई के न्यायालयीन मामले।
    7. फिल्म मीडिया युनिटों अर्थात फिल्म प्रभाग, डीएफएफ और एनएफएआई के पदों को समाप्त करना तथा अधिशेष कर्मचारी स्थापना में पदों को समाप्त करना।
    8. फिल्म प्रभाग के शाखा कार्यालयों को बंद करना तथा इसके स्थान आदि को एनएफडीसी/इस मंत्रालय की अन्य मीडिया युनिटों को हस्तांतरित करना।
    9. उन मीडिया इकाइयों को स्पष्टीकरण जारी करना जहां 95 कर्मचारियों को पुनः तैनात किया गया है।
  2. एफ(ए) डेस्क –
    1. फिल्म मीडिया युनिटों के विलय पर केंद्रीय मंत्रिमंडल के निर्णय का कार्यान्वयन
    2. डीओपीटी के परामर्श से अधिशेष कर्मचारी स्थापना (एसएसई) में रखे गए अधिशेष कर्मचारियों की पुनर्नियुक्ति।
    3. इस स्कीम को चुनने वाले अधिशेष कर्मचारियों के लिए विशेष वीआरएस।
    4. अधिशेष स्टाफ का स्थापना मामला अर्थात अधिशेष स्टाफ की सेवाओं का उपयोग, एसएसई द्वारा उठाए गए सभी प्रशासनिक मुद्दों अर्थात एमएसीपी, आवास, सीजीएचएस, सेवानिवृत्ति, टीए आदि पर स्पष्टीकरण।
    5. अधिशेष कर्मचारी स्थापना के लिए वार्षिक योजना/योजना स्कीमें/बजट प्रस्ताव।
    6. विलय के बाद पुनर्नियुक्ति और अन्य मुद्दों पर एसएसई के न्यायालयीन मामले।
    7. फिल्म मीडिया युनिटों अर्थात फिल्म प्रभाग, डीएफएफ और एनएफएआई के पदों को समाप्त करना तथा अधिशेष कर्मचारी स्थापना में पदों को समाप्त करना।
    8. फिल्म प्रभाग के शाखा कार्यालयों को बंद करना तथा इसके स्थान आदि को एनएफडीसी/इस मंत्रालय की अन्य मीडिया युनिटों को हस्तांतरित करना।
    9. उन मीडिया युनिटों को स्पष्टीकरण जारी करना जहां 95 कर्मचारियों को पुनः तैनात किया गया है।
    10. विभिन्न मुद्दों जैसे वेतन समानता, पदोन्नति, अनुशासनात्मक मामले/सतर्कता मामले, वाणिज्यिक करार आदि पर वित्त विभाग और सीएफएसआई द्वारा पहले से निपटाए गए 34 अदालती मामलों (32 फिल्म प्रभाग और 02 सीएफएसआई) में पैरा-वार टिप्पणियों/प्रति-शपथपत्रों की निगरानी और अनुमोदन प्रदान करना।
    11. पूर्ववर्ती फिल्म प्रभाग और सीएफएसआई के पास लंबित सभी अनुशासनात्मक मामले और सतर्कता मामले।
    12. फिल्म प्रभाग और सीएफएसआई से संबंधित विभिन्न लेखापरीक्षा पैरा।
    13. भारत सरकार की लोक सेवा जागरूकता फिल्मों पर नीतिगत दिशानिर्देश तैयार करना।
    14. विभिन्न मंत्रालयों/विभागों और पीएमओ से प्राप्त पीएसए फिल्मों का थियेटर में रिलीज।
    15. पूर्ववर्ती फिल्म प्रभाग और सीएफएसआई के साथ विभिन्न लंबित मुद्दे।
    16. महादेव रोड ऑडिटोरियम में फिल्मों का प्रदर्शन
    17. सभी संसदीय मामले, राष्ट्रपति कार्यालय/पीएमओ/सांसदों/वीआईपी संदर्भ, स्थायी/परामर्शदात्री समिति संदर्भ/पीएसी सिफारिशों का कार्यान्वयन, आरटीआई मामले, शिकायत याचिका, विभिन्न मुद्दों पर पीएमएस अनुभाग, पीपीसी अनुभाग, प्रशासनिक अनुभाग, आर्थिक विंग, वित्त विंग, राजभाषा अनुभाग के साथ समन्वय।
  3. एफ(पीएसयू) डेस्क –
    1. राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम से संबंधित सभी प्रशासनिक और वित्तीय मामले।
    2. विलयित 4 फिल्म मीडिया युनिटों अर्थात डीएफएफ, एफडी, सीएफएसआई और एनएफएआई की परिसंपत्तियों के रखरखाव और स्थापना व्यय के लिए सभी प्रस्ताव।
    3. प्रति वित्तीय वर्ष एनएफडीसी के प्रदर्शन के मूल्यांकन के लिए डीपीई दिशानिर्देशों के अनुसार समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करना। हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन के अनुसार एनएफडीसी की प्रदर्शन मूल्यांकन रिपोर्ट की जांच करना।
    4. निगम प्रशासन दिशा-निर्देशों का अनुपालन - रिपोर्टों की त्रैमासिक जांच और डीपीई, वित्त मंत्रालय को प्रस्तुत करना।
    5. संसद के दोनों सदनों में वार्षिक रिपोर्ट और लेखापरीक्षित लेखे तथा समझौता ज्ञापन प्रस्तुत करना, एनएफडीसी से संबंधित मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट के लिए सामग्री।
    6. एनएफडीसी से संबंधित विभिन्न सूचनाएं जैसे कॉर्पोरेट प्रशासन दिशानिर्देश, पीई सर्वेक्षण, एनएफडीसी का पूंजीगत व्यय आदि डीपीई को उपलब्ध कराना।
    7. सामान्य संसदीय मामले जैसे एससीआईटी, सांसदों का अध्ययन दौरा, एनएफडीसी की बोर्ड बैठकें, एनएफडीसी की वार्षिक आम बैठक/असाधारण आम बैठक, वीआईपी/सांसद संदर्भ, संसदीय प्रश्न, पीसी, नीति नियोजन प्रकोष्ठ, संसदीय प्रकोष्ठ आदि द्वारा मांगी गई विभिन्न सूचनाएं, आरटीआई, वित्त सचिव एवं सचिव (व्यय) को भेजे जाने वाले मासिक डीओ के बारे में सूचना, एनएफडीसी द्वारा दी गई गारंटी के बारे में सूचना।

राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र (एनसीओई)

The genesis of NCoE may be traced back to 12th Plan Scheme and the Hon’ble Finance Minister in her budget announcement during FY 2014-15 said “a National Centre of Excellence (NCoE) in Animation, Gaming and Special Effects will be set up”. The objective is to create world-class talent pool in India to cater to the Indian as well as global industry, to set-up an incubation centre for the AVGC-XR sector and to provide opportunities for small players to grow. It is supposed to offer UG, PG, level courses and short term courses in different disciplines of AVGC-XR sector at affordable cost and promote research in the AVGC-XR sector by offering research-intensive programmes. NCoE as envisioned by the Ministry would be an independent, industry-led institution which not only would provide employment to the youth, but also respond to the skilling requirements of the industry.

The NCoE has been formally named the Indian Institute of Creative Technologies (IICT) and registered as a Section 8 Company under the Companies Act, 2013 with a onetime budgetary support of Rs. 391.15 crore. The company was incorporated on 25.12.2024, with a shareholding structure of 48% by the Government of India, and 26% each by FICCI and CII, who represent the collective interests of the AVGC-XR industry. The IICT will operate on a 10-acre plot at Dada Saheb Phalke Film City, Goregaon, Mumbai, for which a lease deed was signed between the Ministry of Information & Broadcasting and the Government of Maharashtra on 08.10.2024.

विश्व ऑडियो विजुअल एवं मनोरंजन शिखर सम्मेलन (वेव्स)

WAVES is a premier global event that brings together the entire Media and Entertainment (M&E) sector. It aims to connect India's M&E industry with the global market, fostering growth, collaborations, and innovations. The first edition of the World Audio Visual & Entertainment Summit (WAVES) will be organized in 2025, in India by the National Film Development Corporation under the aegis of the Ministry of Information & Broadcasting supported by the Indian Industry associations in the sector.

WAVES aims to provide impetus to the India M&E sector growth by bringing together minister-led delegations, global and Indian industry leaders, policymakers, M&E industry and its innovators to explore opportunities, address challenges and shape the future of the M&E industry. The Global M&E industry includes Films, TV, Broadcast, Print, Radio, News, New Media, Advertising, Animation, VFX, Gaming & E-sports, AR/VR/XR, Music, LIVE events etc.

As a precursor to WAVES, various associations and organizations are hosting Create in India Challenge: Season 1. This initiative offers a platform for talented individuals to showcase their skills in the fields of Animation, Visual Effects, Gaming, Comics and Extended Reality. For more information on Create in India Challenge: Season 1 please click here: https://wavesindia.org/challenges-2025

Major Components of WAVES

  1. Global Media Dialogue: Interaction of Ministers and key policymakers dealing with the Media and Entertainment sector across the globe.
  2. Thought Leaders Track: Plenary sessions, Conferences and Breakout sessions
  3. Exhibition: Pavilions by M&E industries, showcasing both Indian and Global innovation and latest trends, fostering B2B, B2C, B2G collaborations and opportunities for Investment in India, Immersive & Experiential Zones, Gaming Arcade.
  4. WAVES Bazaar: An industry led marketplace for identifying business partners for tie-ups. Convergence of Buyers and Sellers from different countries across the globe.
  5. WaveXcelerator: Investment opportunity for Startups in the M&E sector and live pitching sessions.
  6. Bharat Pavilion: Celebrating the journey of Bharat from its ancient cultural heritage of storytelling & presenting it in its future-ready Avatar.
  7. CreatoSphere: Masterclasses & Workshops, Creators Conclave, Grand Finale of Create in India Challenges
  8. Cultural Events: Cultural events by Global and Indian performers.

एनिमेशन विज़ुअल इफेक्ट्स गेमिंग कॉमिक्स और विस्तारित वास्तविकता (एवीजीसी-एक्सआर)

उद्योग और सरकार के प्रमुख हितधारकों के साथ भारत में एवीजीसी क्षेत्र की पूरी क्षमता का एहसास करने में मदद करने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव श्री अपूर्व चंद्रा की अध्यक्षता में एवीजीसी टास्क फोर्स का गठन किया गया था। संबद्ध केंद्रीय मंत्रालयों के सचिव अर्थात। MSDE, उच्च शिक्षा विभाग- MoE, MeITY और DPIIT इस टास्क फोर्स के सदस्य थे। इसमें कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना की राज्य सरकारों के सदस्य भी शामिल थे; अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद जैसे शिक्षा निकायों के प्रमुख और उद्योग निकायों - एमईएससी, फिक्की और सीआईआई के प्रतिनिधि।

इसके अलावा, टास्क फोर्स में एवीजीसी सेक्टर के प्रमुख उद्योग नेता सदस्य थे। श्री बीरेन घोष, कंट्री हेड, टेक्नीकलर इंडिया; श्री आशीष कुलकर्णी, संस्थापक, पुनरयुग आर्टविज़न प्राइवेट। लिमिटेड; श्री जेश कृष्ण मूर्ति, संस्थापक और सीईओ एनीब्रेन; श्री कीतन यादव, सीओओ और वीएफएक्स निर्माता, रेडचिलीज़ वीएफएक्स; श्री चैतन्य चिंचलिकर, मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी, व्हिसलिंग वुड्स इंटरनेशनल; श्री किशोर किचिली, वरिष्ठ उपाध्यक्ष और कंट्री हेड, जिंगा इंडिया और श्री नीरज रॉय, प्रबंध निदेशक और सीईओ, हंगामा डिजिटल मीडिया एंटरटेनमेंट।

अपने-अपने क्षेत्रों में लक्षित हस्तक्षेपों के माध्यम से विकास की रणनीति तैयार करने के लिए चार उप-कार्य बल गठित किए गए थे, ए) श्री अपूर्व चंद्रा, सचिव एमओआईबी की अध्यक्षता में उद्योग और नीति; बी) श्री अनिल शाहश्रबुद्धे, तत्कालीन अध्यक्ष एआईसीटीई की अध्यक्षता में शिक्षा; ग) स्किलिंग की अध्यक्षता श्री राजेश अग्रवाल, तत्कालीन सचिव MoSDE, और; घ) गेमिंग का नेतृत्व श्री विक्रम सहाय, जेएस एमओआईबी द्वारा किया गया। उनकी सिफ़ारिशों ने टास्क फोर्स की समेकित रिपोर्ट का आधार बनाया है।

केंद्रीय बजट ने हमारे बाजारों और वैश्विक मांग को पूरा करने के लिए घरेलू क्षमता के निर्माण के लिए हस्तक्षेप की पहचान करने के लिए एवीजीसी पर एक टास्क फोर्स के गठन की घोषणा की थी।

टास्क फोर्स प्रधान मंत्री के दृष्टिकोण को साकार करने का एक प्रयास है कि एवीसीजी-एक्सआर क्षेत्र युवाओं को रोजगार के अपार अवसर प्रदान कर सकता है जो वैश्विक बाजार की सेवा कर सकते हैं और भारतीय प्रतिभा इस क्षेत्र में आगे बढ़ सकती है।

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्री. अनुराग सिंह ठाकुर ने पहचाना कि एवीजीसी क्षेत्र भारत में एम एंड ई उद्योग के लिए एक प्रमुख विकास चालक के रूप में काम कर सकता है और इस बात पर जोर दिया कि इस क्षेत्र के विकास के उच्च आर्थिक प्रभाव से परे, इस क्षेत्र में भारतीय अर्थव्यवस्था को बेहतर ढंग से फैलाने और बढ़ावा देने की भी क्षमता है। दुनिया के लिए संस्कृति, भारतीय प्रवासियों को भारत के साथ और अधिक मजबूती से जोड़ना, प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष गुणवत्ता वाले रोजगार पैदा करना और पर्यटन और अन्य संबद्ध उद्योगों को लाभ पहुंचाना।

विस्तृत रिपोर्ट सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की वेबसाइट पर देखी जा सकती है

भारतीय राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम(एनएफडीसी)

राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम

दिसंबर, 2020 में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तहत चार फिल्म मीडिया इकाइयों, अर्थात् फिल्म डिवीजन (एफडी), फिल्म महोत्सव निदेशालय (डीएफएफ), नेशनल फिल्म आर्काइव ऑफ इंडिया (एनएफएआई) और चिल्ड्रन्स फिल्म सोसाइटी का विलय करने का निर्णय लिया था। एनएफडीसी के मेमोरेंडम ऑफ आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन का विस्तार करके, भारत (सीएफएसआई) को राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम लिमिटेड (एनएफडीसी) में शामिल किया गया है, जो तालमेल, गतिविधियों के अभिसरण और बेहतर सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उनके द्वारा अब तक की गई सभी गतिविधियों को पूरा करेगा। संसाधनों का उपयोग. तदनुसार, सभी चार फिल्म मीडिया इकाइयों की गतिविधियों को एनएफडीसी में स्थानांतरित कर दिया गया है [लोक सेवा जागरूकता (पीएसए) फिल्मों से संबंधित गतिविधियों को छोड़कर जिन्हें केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) को सौंपा गया है]।ये चार फिल्म मीडिया इकाइयां 01.01.2023 से बंद हैं। सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने वृत्तचित्रों और लघु फिल्मों के निर्माण, फिल्म समारोहों के आयोजन और फिल्मों के संरक्षण का कार्यभार राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी) को हस्तांतरित कर दिया, जो मंत्रालय के तहत काम करने वाला एक सार्वजनिक उपक्रम है। इन सभी गतिविधियों को एक ही प्रबंधन के तहत लाने से विभिन्न गतिविधियों का ओवरलैप कम हो जाएगा और सार्वजनिक संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित होगा। फीचर फिल्मों के निर्माण का कार्य एनएफडीसी द्वारा पहले से ही किया जा रहा है। यह फीचर फिल्मों, वृत्तचित्रों, बच्चों की फिल्मों और एनीमेशन फिल्मों सहित सभी शैलियों की फिल्मों के निर्माण को एक मजबूत प्रोत्साहन देगा; विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय उत्सवों में भागीदारी और विभिन्न घरेलू उत्सवों के आयोजन के माध्यम से फिल्मों का प्रचार; फिल्मी सामग्री का संरक्षण, डिजिटलीकरण और फिल्मों की बहाली; और वितरण और आउटरीच गतिविधियाँ। हालाँकि, इन इकाइयों के पास उपलब्ध संपत्तियों का स्वामित्व भारत सरकार के पास रहेगा। एनएफडीसी-एनएफएआई का उद्देश्य राष्ट्रीय सिनेमाई विरासत का पता लगाना, हासिल करना और संरक्षित करना है और साथ ही भावी पीढ़ियों के लिए विश्व सिनेमा का प्रतिनिधि संग्रह बनाना है; फिल्मों से संबंधित डेटा को वर्गीकृत और दस्तावेजित करना, सिनेमा पर अनुसंधान करना और प्रोत्साहित करना, देश में फिल्म संस्कृति के प्रसार के लिए एक केंद्र के रूप में कार्य करना;

दुनिया भर में भारतीय सिनेमा को बढ़ावा दें

चार दशकों से अधिक के अनुभव के साथ दृश्य-श्रव्य विरासत के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय संरक्षक होने के नाते, एनएफएआई भारत की सामाजिक-सांस्कृतिक विरासत के अधिग्रहण, संरक्षण, बहाली और प्रसार के लिए प्रतिबद्ध है। यह विरासत फिल्म और गैर-फिल्मी सामग्री के रूप में हो सकती है, जिसमें सेल्युलाइड फिल्में, स्थिर तस्वीरें, दीवार पोस्टर, गीत पुस्तिकाएं, पोस्टर, लॉबी कार्ड, वृत्तचित्र और वीएचएस टेप शामिल हैं, लेकिन इन्हीं तक सीमित नहीं हैं।

एनएफएआई अक्सर न केवल भारतीय सिनेमा को बढ़ावा देने के लिए बल्कि फिल्म समारोहों, सेमिनारों और कार्यशालाओं के रूप में विश्व सिनेमा को घर लाने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के साथ सहयोग करता है।

वेबसाइट का लिंक नीचे दिया गया है:

https://nfai.nfdcindia.com/

भारत के सिनेमाघर

सिनेमाज ऑफ इंडिया (सीओआई), एनएफडीसी का एक बहुआयामी वितरण मंच, 2012 में भारतीय सिनेमा के प्रदर्शन की सुविधा के लिए लॉन्च किया गया था, जो मुख्य रूप से देश की उभरती प्रतिभाओं द्वारा बनाया गया था। सीओआई अपने कार्यों को विभिन्न प्रारूपों में प्रस्तुत करके भारतीय सिनेमा के उस्तादों और नए जमाने के फिल्म निर्माताओं के बीच की दूरी को पाटने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

यह योग्य भारतीय फिल्मों के लिए लगातार बढ़ते दर्शकों का निर्माण करने, भारत में उभरती प्रतिभाओं को बढ़ावा देने और विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में इन फिल्म निर्माताओं के लिए एक मंच बनाने का प्रयास करता है। सिनेमाज ऑफ इंडिया (सीओआई) अभियान ने भारतीय सिनेमा को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए एक वीडियो-ऑन-डिमांड (वीओडी) प्लेटफॉर्म, www.cinemasofindia.com की स्थापना की, जो भौगोलिक, सामाजिक और विभिन्न क्षेत्रों में भारतीय फिल्मों को अपलोड और स्ट्रीम करता है। -सांस्कृतिक बाधाएँ. वेबसाइट को फिल्म की वैश्विक संस्कृति में भारतीय सिनेमा के वाहक के रूप में कार्य करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस अभियान का उद्देश्य योग्य भारतीय फिल्मों को प्रोत्साहित करना और उन्हें दर्शकों के लिए ऑनलाइन उपलब्ध कराना है।

वेबसाइट का लिंक नीचे दिया गया है:

https://www.cinemasofindia.com/

https://www.cinemasofindia.com/wp/about/

अन्य

वर्ष 1975 में निगमित, राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम लिमिटेड (एनएफडीसी) का गठन भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा भारतीय फिल्म उद्योग के एकीकृत और कुशल विकास की योजना बनाने, बढ़ावा देने और व्यवस्थित करने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ किया गया था।

एनएफडीसी की स्थापना मुख्य रूप से देश में अच्छे सिनेमा आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए की गई थी। इस अधिदेश के एक महत्वपूर्ण पहलू में अच्छी फिल्मों के लिए दर्शकों का निर्माण करना और मनोरंजन के अलावा मूल्य-आधारित सामाजिक परिवर्तन और कला के प्रसार के माध्यम के रूप में फिल्म को बढ़ावा देना शामिल है।

दिसंबर, 2020 में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अपनी चार फिल्म मीडिया इकाइयों, फिल्म्स डिवीजन, फिल्म फेस्टिवल निदेशालय, नेशनल फिल्म आर्काइव ऑफ इंडिया और चिल्ड्रन्स फिल्म सोसाइटी, इंडिया का विस्तार करके राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम लिमिटेड के साथ विलय करने का निर्णय लिया था। एनएफडीसी के एसोसिएशन ऑफ आर्टिकल्स का ज्ञापन, जो तालमेल, गतिविधियों के अभिसरण और संसाधनों के बेहतर उपयोग को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उनके द्वारा अब तक की गई सभी गतिविधियों को पूरा करेगा।

पिछले कुछ वर्षों में एनएफडीसी ने सत्यजीत रे, मीरा नायर, अपर्णा सेन, श्याम बेनेगल, गोविंद निहलानी, मृणाल सेन, रिचर्ड एटनबोरो, अदूर गोपालकृष्णन और केतन मेहता सहित भारत के कुछ सबसे प्रशंसित फिल्म निर्माताओं के साथ काम किया है।

एनएफडीसी सार्वजनिक-निजी भागीदारी वाली परियोजनाओं का सह-उत्पादन करके नए आयाम स्थापित कर रहा है।

एनएफडीसी भारत में शूटिंग की लाइन प्रोडक्शन सेवाओं और विदेशी ग्राहकों की एनीमेशन सेवाओं की सुविधा प्रदान करता है।

एनएफडीसी भारत के अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव, गोवा के साथ-साथ दक्षिण एशियाई क्षेत्र के लिए एक सह-उत्पादन और वितरण बाजार, फिल्म बाजार इंडिया का आयोजन करता है।

मिशन

एनएफडीसी का लक्ष्य विभिन्न भारतीय भाषाओं में बनी फिल्मों को समर्थन और प्रोत्साहन देकर सिनेमा में उत्कृष्टता को बढ़ावा देना और अपनी संस्कृति की विविधता को बढ़ावा देना है।

विजन

स्वतंत्र भारतीय सिनेमा की घरेलू और वैश्विक सराहना और उत्सव पैदा करना।

उद्देश्य

  • प्रतिभाओं का विकास करना और निर्माण और सह-निर्माण, स्क्रिप्ट विकास और आवश्यकता आधारित कार्यशालाओं के माध्यम से सभी भाषाओं में भारतीय सिनेमा के विकास को सुविधाजनक बनाना;
  • भारत और विदेशों में सिनेमा के माध्यम से भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देना;
  • भारतीय फिल्म उद्योग की आवश्यकताओं के प्रति उत्तरदायी एक लचीला और लचीला संगठन बनाना।

वेबसाइट का लिंक नीचे दिया गया है:

https://www.nfdcindia.com/

इंडिया सिनेमा हब(आईसीएच)

फिल्म सुविधा कार्यालय (एफएफओ) दुनिया भर से फिल्म निर्माताओं और निर्माण कंपनियों को भारत में अपनी फीचर फिल्मों, टीवी/वेब शो और श्रृंखला और रियलिटी टीवी/वेब शो और श्रृंखला की शूटिंग के लिए आमंत्रित करता है, जो कि अनकही सुंदरता वाले देश हैं।

भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने भारत में विदेशी फिल्म निर्माताओं द्वारा फिल्म शूटिंग को बढ़ावा देने और सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी) में एफएफओ की स्थापना की। एफएफओ द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं को अब भारतीय फिल्म निर्माताओं तक भी बढ़ा दिया गया है।

इंडिया सिने हब (आईसीएच):

एफएफओ पर जाने के लिए क्लिक करें

फिल्म प्रमाणन- सीबीएफसी

चलचित्र अधिनियम, 1952 के उपबन्धों के तहत सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए फिल्मों के विनियमन के संबंध में केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) इस मंत्रालय के तहत एक सांविधिक निकाय है। सीबीएफसी के प्रमाणन पर, फिल्मों को भारत में सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया जा सकता है।

इस बोर्ड में गैर-सरकारी सदस्य और एक अध्यक्ष होता है जो मुंबई में मुख्यालय के साथ कार्य करता है। पैनल के सदस्यों को केंद्र सरकार द्वारा दो वर्ष की अवधि के लिए नामित और नियुक्त किया जाता है, जिन्हें जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से लिया जाता है। सीबीएफसी के नौ क्षेत्रीय कार्यालय हैं जो बैंगलोर, चेन्नई, कटक, गुवाहाटी, हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई, नई दिल्ली और तिरुवनंतपुरम में कार्यरत हैं। फिल्मों की जांच के लिए क्षेत्रीय कार्यालयों को सलाहकार पैनल द्वारा सहायता प्रदान की जाती है।

चलचित्र अधिनियम, 1952, चलचित्र (प्रमाणन) नियम, 1983 और चलचित्र अधिनियम, 1952 की धारा 5 (ख) के तहत केंद्र सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार फिल्मों को निम्नलिखित श्रेणियों में प्रमाणित किया जाता है:

  • अ: यू - अप्रतिबंधित सार्वजनिक प्रदर्शन
  • अ/व: यू/ए - अप्रतिबंधित सार्वजनिक प्रदर्शन लेकिन इस सावधानी के साथ कि 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए विवेक की आवश्यकता है।
  • व: ए - वयस्कों के लिए सीमित।
  • एस - व्यक्तियों के किसी विशेष वर्ग के लिए सीमित।

सार्वजनिक प्रदर्शन प्रमाण पत्र हेतु प्राप्त आवेदनों पर कार्रवाई करने के लिए भी केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड को ऑनलाइन प्रमाणन सुविधा के साथ निगमित किया गया है।

केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की वेबसाइट पर जाने के लिए

https://cbfcindia.gov.in/cbfcAdmin/about.php

फिल्म संस्थान

भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान, पुणे

भारतीय फिल्म संस्थान की स्थापना भारत सरकार द्वारा सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तहत 1960 में की गई थी। 1971 में टेलीविजन विंग को जोड़ने के बाद, संस्थान का नाम बदलकर भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई) कर दिया गया। संस्थान को अक्टूबर, 1974 में सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत एक सोसायटी के रूप में पंजीकृत किया गया था। एफटीआईआई सोसायटी में फिल्म, टेलीविजन, संचार, संस्कृति से जुड़ी प्रतिष्ठित हस्तियाँ, संस्थान के पूर्व छात्र और पदेन सरकारी सदस्य शामिल हैं। संस्थान का संचालन चेयरमैन की अध्यक्षता वाली शासी परिषद द्वारा किया जाता है। संस्थान की शैक्षणिक नीतियाँ अकादमिक परिषद द्वारा तैयार की जाती हैं। वित्त से जुड़े मामलों को स्थायी वित्त समिति द्वारा नियंत्रित किया जाता है।

संस्थान में दो विंग हैं: फिल्म और टेलीविजन, जो फिल्म और टेलीविजन दोनों में पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं। निर्देशन और पटकथा लेखन, छायांकन, साउंड रिकॉर्डिंग और साउंड डिजाइन, संपादन और कला निर्देशन और प्रोडक्शन डिजाइन में तीन वर्षीय पाठ्यक्रम स्नातकोत्तर डिप्लोमा मिलता है। संस्थान स्क्रीन एक्टिंग और स्क्रीन राइटिंग (फिल्म, टीवी और वेब सीरीज) में दो वर्षीय स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम भी प्रदान करता है। टेलीविजन पाठ्यक्रमों में टीवी निर्देशन, इलेक्ट्रॉनिक छायांकन, वीडियो संपादन, साउंड रिकॉर्डिंग और टीवी इंजीनियरिंग में विशेषज्ञता के साथ एक वर्षीय स्नातकोत्तर प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम शामिल है।

एफटीआईआई, पुणे ने मई, 2017 से राज्य सरकारों/विश्वविद्यालयों/शैक्षणिक संस्थानों के सहयोग से स्किलिंग इंडिया इन फिल्म एंड टेलीविजन (एसकेआईएफटी) के माध्यम से देश भर में सस्ती और सुलभ गुणवत्ता वाली सिनेमा साक्षरता प्रदान करने के लिए अल्पकालिक

वेबसाइट का लिंक नीचे दिया गया है:

https://www.ftii.ac.in/

सत्यजीत रे फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान

भारत सरकार द्वारा 1995 में सत्यजीत रे फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एसआरएफटीआई), कोलकाता की स्थापना सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त शैक्षणिक संस्थान के रूप में की गई थी और इसे पश्चिम बंगाल सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1961 के तहत पंजीकृत किया गया था। कोलकाता में स्थित और महान फिल्म उस्ताद सत्यजीत रे के नाम पर स्थापित एसआरएफटीआई संस्थान फिल्म निर्माण और टेलीविजन प्रोडक्शन की कला और तकनीक में उच्च और पेशेवर शिक्षा और तकनीकी विशेषज्ञता प्रदान करता है। संस्थान फिल्मों में 6 (छह) विशेषज्ञताओं यथा - (1) निर्देशन और पटकथा लेखन, (2) चलचित्र, (3) संपादन, (4) साउंड रिकॉर्डिंग और डिजाइन, (5) फिल्म और टेलीविजन के लिए निर्माण और (6) एनीमेशन सिनेमा में 3 वर्षीय स्नातकोत्तर कार्यक्रम प्रदान करता है और इलेक्ट्रॉनिक तथा डिजिटल मीडिया (ईडीएम) में 6 (छह) विशेषज्ञताओं यथा (1) इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया प्रबंधन, (2) इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया के लिए चलचित्र, (3) इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया के लिए लेखन, (4) इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया के लिए निर्देशन और निर्माण, (5) इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया के लिए संपादन और (6) इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया के लिए साउंड में 2 वर्षीय स्नातकोत्तर डिप्लोमा कार्यक्रम प्रदान करता है।

नियमित कक्षाओं के अलावा, संस्थान के छात्रों को उद्योग विशेषज्ञों द्वारा आयोजित विभिन्न अतिथि व्याख्याताओं, कार्यशालाओं, संगोष्ठियों आदि द्वारा मास्टर क्लासेस से भी समृद्ध अनुभव प्रदान किया जाता है। एसआरएफटीआई ने सृजनात्मक व्यक्तियों के लिए पेशेवर अभ्यास की दुनिया में जाने के लिए प्रैक्सिस के शास्त्रीय और समकालीन सिद्धांतों को स्पष्ट और प्रसारित करने में सफलता प्राप्त की है: चाहे वह मुख्यधारा, समानांतर, आर्ट-हाउस, प्रयोगात्मक या नॉन-फिक्शन नैरेटिव हों। संस्थान ने फिल्म निर्माण की कला और शिल्प के एक नए प्रतिमान की दिशा में कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं।

वेबसाइट का लिंक नीचे दिया गया है:

https://srfti.ac.in/?page_id=6414

सत्यजीत रे फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान-पूर्वोत्तर क्षेत्र

देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र के समग्र विकास और फिल्म एवं टेलीविजन के क्षेत्र में पूर्वोत्तर के युवाओं की प्रतिभा को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार की पहल के एक भाग के रूप में, मंत्रालय अरुणाचल प्रदेश में पूर्वोत्तर क्षेत्र में फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान की स्थापना कर रहा है, जो भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई), पुणे और सत्यजीत रे फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एसआरएफटीआई), कोलकाता की तर्ज पर होगा।

एफटीआई, अरुणाचल प्रदेश की आधारशिला दिनांक 09.02.2019 को भारत के माननीय प्रधानमंत्री द्वारा रखी गई थी। इटानगर में एक अस्थायी परिसर शुरू किया गया है जहाँ पूर्वोत्तर क्षेत्र के छात्रों को फाउन्डेशन पाठ्यक्रम प्रदान किए जा रहे हैं। 'अ शार्ट ट्रिप ऑफ सिनेमा', सिनेमा के सौंदर्यीकरण पर दस सप्ताह की अवधि का लघु पाठ्यक्रम, एक अस्थायी परिसर में आयोजित किया जाता है। इस पाठ्यक्रम को फिल्म निर्देशन और पटकथा, छायांकन, संपादन, साउंड रिकॉर्डिंग और डिजाइन, और फिल्म के लिए निर्माण जैसे बुनियादी साउंड ज्ञान के साथ बनाया गया है। मार्च, 2017 से इसके शुरू होने के बाद विभिन्न विशेषज्ञताओं और विषयों से छह अल्पकालिक पाठ्यक्रम आयोजित किए गए।

पाठ्यक्रम का उद्देश्य:

  1. भारत में सिनेमा एक बहुत ही विशाल क्षेत्र है जो अपने विभिन्न पहलुओं में निश्चित कैरियर विकल्प प्रदान करता है और पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद भी इसमें आगे बढ़ा जा सकता है।
  2. फिल्म निर्माण के लिए आवश्यक ‘मूलभूत उपकरण’ और ‘संवेदनशीलता’ के लिए प्रदान किया गया ज्ञान।
  3. कार्यक्रम पूरा करने के बाद छात्र फिल्म निर्माण को पेशे के रूप में अपनाने के लिए अपना मार्ग निर्धारित कर सकेंगे और तदनुसार स्नातक और स्नातकोत्तर कार्यक्रम का चयन कर सकेंगे, जो उन्हें अपने लक्ष्य तक पहुंचने में और अधिक सशक्त बनाएगा।

संस्थान में 21 बिल्डिंग ब्लॉक हैं, जिनमें से 11 आवासीय बिल्डिंग ब्लॉक और 10 शैक्षणिक भवन हैं। सीपीडब्ल्यूडी द्वारा सिविल इंफ्रास्ट्रक्चर, बिजली और पानी की आपूर्ति सहित संरचनात्मक कार्य लगभग पूरा हो चुका है। अप्रैल, 2022 में नॉर्थ ईस्ट फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट में ओपन एयर थिएटर के डिजाइन को अंतिम रूप दिया गया।

वेबसाइट का लिंक नीचे दिया गया है:

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फ़िल्म समारोह

भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह

भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह (आईएफएफआई) दक्षिण एशिया का एकमात्र फिल्म समारोह है जिसे प्रतिस्पर्धी फीचर फिल्म श्रेणी में इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ़ फ़िल्म प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (एफआईएपीएफ) द्वारा मान्यता प्राप्त है।

1952 में अपनी स्थापना के बाद से आईएफएफआई दुनिया भर से शानदार फ़िल्मों का चयन करता रहा है। इसका लक्ष्य महत्वाकांक्षी फ़िल्म निर्माताओं, सिनेमा प्रेमियों और उद्योग के पेशेवरों को दुनिया भर के बेहतरीन सिनेमा तक पहुँच प्रदान करने के लिए एक मंच प्रदान करना है।

आईएफएफआई का अंतर्राष्ट्रीय सिनेमा खंड दुनिया भर की सांस्कृतिक और सौंदर्य की दृष्टि से उल्लेखनीय फिल्मों का संग्रह है। फिल्म उद्योग से जुड़े प्रतिष्ठित सदस्यों द्वारा शॉर्टलिस्ट की गई वर्ष की अंतर्राष्ट्रीय फिल्मों को प्रदर्शित करके कला को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध होकर इसने अपनी प्रतिष्ठा कायम रखी है।

वर्ष 2004 से, आईएफएफआई अपने स्थायी वेन्यू गोवा में स्थानांतरित हो गया है, जहां इसे प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी), सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार तथा एंटरटेनमेंट सोसाइटी ऑफ गोवा (ईएसजी) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया जाता है।

वेबसाइट का लिंक नीचे दिया गया है

https://www.iffigoa.org/

फिल्म बाज़ार

फिल्म बाज़ार की शुरुआत 2007 में राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी) द्वारा की गई थी और यह दक्षिण एशिया के वैश्विक फिल्म बाज़ार के रूप में विकसित हुआ है। यह हर साल गोवा में प्रतिष्ठित भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह (आईएफएफआई) के साथ आयोजित किया जाता है।

फिल्म बाज़ार दक्षिण एशियाई और अंतर्राष्ट्रीय फिल्म निर्माताओं और फिल्म प्रोड्यूसरों, बिक्री एजेंटों और फेस्टिवल प्रोग्रामर्स के लिए संभावित रचनात्मक और वित्तीय सहयोग के लिए तालमेल का केंद्र है। 5 दिनों की अवधि के दौरान, यह समारोह फिल्म निर्माण, प्रोडक्शन और वितरण में दक्षिण एशियाई सामग्री और प्रतिभा की खोज, समर्थन और प्रदर्शन पर केंद्रित है। यह बाज़ार दक्षिण एशियाई क्षेत्र में विश्व सिनेमा की बिक्री को भी प्रोत्साहित करता है।

पिछले कुछ वर्षों में लंच बॉक्स, मार्गरीटा विद ए स्ट्रॉ, चौथी कूट, किस्सा, शिप ऑफ थीसियस, तितली, कोर्ट, अन्हे घोड़े दा दान, मिस लवली, दम लगाके हईशा, लायर्स डाइस और तिथि जैसी फिल्में बाजार के एक या अधिक कार्यक्रमों में दिखाई गई हैं।

वेबसाइट का लिंक नीचे दिया गया है:

https://filmbazaarindia.com/the-bazaar/about-film-bazaar/

मुंबई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह

मुंबई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह (एमआईएफएफ) दक्षिण एशिया में गैर-फीचर फिल्मों के लिए सबसे पुराना और सबसे बड़ा फिल्म समारोह है, जिसकी शुरुआत 1990 में हुई थी और पहले इसका आयोजन फिल्म प्रभाग, सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा किया जाता था। अब इसका आयोजन राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम, सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा किया जाएगा। एमआईएफएफ की आयोजन समिति का नेतृत्व सचिव, सूचना और प्रसारण करते हैं और इसमें प्रतिष्ठित फिल्मी हस्तियां, वृत्तचित्र निर्माता और फिल्म समीक्षक शामिल होते हैं।

वेबसाइट का लिंक नीचे दिया गया है:

https://miff.in/

भारतीय अंतर्राष्ट्रीय बाल फिल्म समारोह

भारतीय बाल चित्र समिति (सीएफएसआई) - एनएफडीसी भारत सरकार का एक नोडल संगठन है जो विभिन्न भारतीय भाषाओं में बच्चों की फिल्में और टेलीविजन कार्यक्रम बनाता है । सीएफएसआई ऐसी फिल्मों को बढ़ावा देता है जो बच्चों के लिए स्वस्थ और संपूर्ण मनोरंजन प्रदान करती हैं।

भारतीय अंतर्राष्ट्रीय बाल फिल्म समारोह (आईसीएफएफआई) दुनिया के सबसे बड़े और सबसे रंगीन बाल फिल्म महोत्सवों में से एक है, जिसका उद्देश्य उच्च गुणवत्ता वाले ऐसे अंतर्राष्ट्रीय बाल सिनेमा को प्रदर्शित करना है, जिसे बच्चे शायद कहीं और न देख पाएं। इस अवसर पर, उन्हें अन्य बच्चों, मेहमानों, जूरी सदस्यों के साथ बातचीत करने और फिल्म निर्माण की बारीकियों को सीखने का अवसर मिलेगा, जिसका उपयोग वे अपने रचनात्मक कार्यकलापों को बढ़ावा देने के लिए कर सकते हैं।

वेबसाइट का लिंक नीचे दिया गया है:

https://www.iffigoa.org/

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) फिल्म समारोह

सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम के माध्यम से मुंबई में 27 से 31 जनवरी, 2023 तक शंघाई सहयोग संगठन फिल्म समारोह का आयोजन किया था। एससीओ में भारत की अध्यक्षता के उपलक्ष्य में एससीओ फिल्म समारोह का आयोजन किया गया था।

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) फिल्म समारोह मुंबई के एनसीपीए में सितारों से सजे भव्य उद्घाटन समारोह और भारत की विविधता को दर्शाने वाली रंगारंग सांस्कृतिक संध्या के साथ शुरू हुआ। भारतीय सिनेमा के साथ-साथ एससीओ देशों की लोकप्रिय फिल्मी हस्तियों की उपस्थिति में, केंद्रीय सूचना और प्रसारण तथा युवा कार्यक्रम और खेल मंत्री श्री अनुराग सिंह ठाकुर और राज्य मंत्री (विदेश एवं संस्कृति) श्रीमती मीनाक्षी लेखी ने एससीओ फिल्म समारोह का उद्घाटन किया।

उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि सुश्री हेमा मालिनी और अन्य प्रतिष्ठित फिल्मी हस्तियों जैसे अक्षय कुमार, टाइगर श्रॉफ, हेमा मालिनी, साजिद नाडियाडवाला, ईशा गुप्ता, पूनम ढिल्लों, एली अवराम, हर्षिता भट्ट और जैकी भगनानी को इस अवसर पर सम्मानित किया गया।

एससीओ फिल्म समारोह के सात निर्णायक मंडल सदस्यों – चीन की फिल्म निर्देशक सुश्री निंग यिंग; कजाकिस्तान के संगीतकार श्री दिमाश कुदाईबरगेन; किर्गिस्तान की फिल्म निर्माता और फिल्म समीक्षक सुश्री गुलबारा टोलोमुशोवा; रूसी फिल्म निर्माता और पत्रकार श्री इवान कुद्रियावत्सेव; ताजिकिस्तान के फिल्म निर्माता, अभिनेता और लेखक श्री मेहमेदसैद शोहियोन; उज्बेकिस्तान के अभिनेता श्री मत्यकूब सदुल्लायेविच माचनोव और निर्णायक मंडल के अध्यक्ष और जाने-माने भारतीय फिल्म निर्माता राहुल रवैल को भी सम्मानित किया गया। केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री ने स्वागत भाषण देते हुए कहा, "एससीओ फिल्म समारोह फिल्म निर्माताओं के लिए नेटवर्क बनाने, प्रस्तुति देने, सहयोग करने और सिनेमा की दुनिया से सर्वश्रेष्ठ का अनुभव करने के लिए अद्वितीय अवसर और अविश्वसनीय संभावनाएं प्रस्तुत करता है"।

अन्य समारोह

मंत्रालय फिल्म सामग्री का विकास, संचार और प्रसार (डीसीडीएफसी) स्कीम के तहत राज्य की सिफारिश पर समारोहों के आयोजन के लिए एनजीओ/समारोह आयोजकों को वित्तीय सहायता भी प्रदान करता है।

राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार

69वें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार

मंत्रालय हर साल फीचर फिल्मों, गैर-फीचर फिल्मों, भारतीय सिनेमा पर सर्वश्रेष्ठ लेखन, सर्वाधिक फिल्म अनुकूल राज्य पुरस्कार और प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के पुरस्कार के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्रदान करता है। एनएफए जूरी की सिफारिश प्राप्त होने और पुरस्कार विजेताओं के नामों की घोषणा होने के बाद, भारत के माननीय राष्ट्रपति की सुविधा के अनुसार, राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार वितरण समारोह विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित किया जाता है। वर्ष 2020 के लिए 68वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दिनांक 30.09.2022 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में भारत के माननीय राष्ट्रपति जी द्वारा प्रदान किए गये।

69वें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार

वर्ष 2021 के लिए 69वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह 17 अक्टूबर, 2023 को विज्ञान भवन नई दिल्ली में आयोजित किया गया। भारत के माननीय राष्ट्रपति द्वारा ये पुरस्कार प्रदान किए गए।